अन्वाधान 2025: 21 सितंबर 2025 की तिथि, समय, व्रत, कथा, पूजा विधि व महत्व
अन्वाधान 2025 की तिथि और समय
अन्वाधान हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास की अमावस्या के अगले दिन आता है और यह होम, यज्ञ और पूजा-पाठ के लिए विशेष दिन माना जाता है।
- अन्वाधान तिथि: 21 सितंबर 2025
- प्रारंभ: 20 सितंबर 2025, रात्रि 10:45 बजे
- समाप्त: 21 सितंबर 2025, रात्रि 08:30 बजे
- शुभ मुहूर्त: प्रातः 07:00 बजे से 09:00 बजे तक
अन्वाधान व्रत का महत्व
अन्वाधान का शाब्दिक अर्थ है “अनुवर्तन या पुनः धारण करना”। यह दिन यज्ञ, होम और देवताओं को आहुति देने का दिन माना जाता है। वैदिक परंपरा में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि यह घर और वातावरण को शुद्ध करता है।
पौराणिक मान्यता है कि अन्वाधान के दिन अग्नि में आहुति देने से पितरों की तृप्ति होती है और देवता प्रसन्न होते हैं। इससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
अन्वाधान पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर हवन कुंड बनाएं और अग्नि प्रज्वलित करें।
- पंचगव्य या गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- गाय के घी, तिल, जौ और लकड़ी का उपयोग कर अग्नि प्रज्वलित करें।
- गायत्री मंत्र, महा-मृत्युंजय मंत्र और स्वाहा मंत्र का उच्चारण करते हुए आहुति दें।
- पूजा के अंत में परिवार सहित आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
अन्वाधान व्रत कथा
एक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक ऋषि ने अन्वाधान के दिन अग्नि में आहुति दी थी। इससे उनके सभी पाप नष्ट हो गए और उनके पितृगण स्वर्ग को चले गए। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि अन्वाधान पर यज्ञ-हवन करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
अन्वाधान व्रत के लाभ
- घर और वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
- जीवन में समृद्धि और उन्नति आती है।
FAQ – अन्वाधान 2025
अन्वाधान क्या है?
अन्वाधान अग्नि हवन और आहुति का विशेष दिन है जो अमावस्या के अगले दिन मनाया जाता है।
अन्वाधान पर क्या करना चाहिए?
सुबह स्नान कर हवन करें, देवताओं को आहुति दें और मंत्रों का जाप करें।
क्या अन्वाधान पितरों के लिए भी महत्वपूर्ण है?
हाँ, इस दिन की गई आहुति से पितरों की तृप्ति होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति आती है।