पितृपक्ष का समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि को होता है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से समस्त पितरों को तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर संतानों को दीर्घायु, समृद्धि और सुख का आशीर्वाद देते हैं। विशेष बात यह है कि जिन लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं होती, वे इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं। आइए जानते हैं साल 2025 में सर्वपितृ अमावस्या की तिथि, मुहूर्त और महत्व।
सर्वपितृ अमावस्या 2025 की तिथि और मुहूर्त- Sarva Pitru Amavasya 2025 Date
पंचांग के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025, रविवार को पूर्वाह्न 12:16 बजे प्रारंभ होकर 22 सितंबर 2025, सोमवार को पूर्वाह्न 01:23 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर सभी पूजा-विधि और श्राद्ध 21 सितंबर को किए जाएंगे।
- कुतुप मुहूर्त: प्रातः 11:50 से दोपहर 12:38 बजे तक
- रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:38 से 01:27 बजे तक
- अपराह्न काल मुहूर्त: दोपहर 01:27 से 03:53 बजे तक
इस दिन कैसे करें श्राद्ध?
- सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने से पहले स्नान कर शुद्ध और पवित्र होना आवश्यक है।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख कर चौकी पर पितरों की तस्वीर या प्रतीक रखें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
- पितरों कौ फूल अर्पित करें, धूप-दीप दिखाएं और विशेष भोग लगाएं।
- इस दिन पंचबलि (गाय, कुत्ते, कौवे, देवता और चींटी के लिए भोग) जरूर निकालें।
- ब्राह्मण को ससम्मान भोजन कराएं और यथाशक्ति अन्न-धन का दान करें।
- यदि संभव हो तो श्राद्ध नदी तीर्थ, सरोवर या पीपल वृक्ष के नीचे करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहे 3 शुभ योग-
साल 2025 की सर्वपितृ अमावस्या पर खास योग भी बन रहे हैं, जो श्राद्ध और तर्पण के महत्व को और बढ़ा देंगे।
सर्वार्थ सिद्धि योग: 21 सितंबर सुबह 09:32 बजे से22 सितंबर को सुबह 06:09 बजे तक रहेगा। यह योग सभी कार्यों में सफलता और शुभ फल प्रदान करने वाला है।
शुभ योग: अमावस्या तिथि पर सुबह से लेकर शाम 07:53 बजे तक रहेगा।
नक्षत्र योग: इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र सुबह 09:32 बजे तक रहेगा, इसके बाद उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र प्रारंभ होगा।
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