आपको पता है गुलिक काल और यमगंड काल क्या है? पंडित जी से जानें फर्क और महत्व

ज्योतिष के अनुसार, पूरे दिन में ऐसे कई काल होते हैं जिनका संबंध शुभ और अशुभ से होता है। ऐसे ही महत्वपूर्ण काल राहु काल, गुलिक और यमगंड काल हैं, जिनमें फर्क पता होना चाहिए। आइए इस लेख में गुलिक और यमगंड काल का महत्व समझें।

अगर आप हिंदू पंचांग देखें, तो आपको पता चलेगा कि दिन के समय को कई खंडों में बांटा गया है। इन खंडों का सीधा संबंध शुभ-अशुभ कार्यों से होता है। जैसे राहुकाल, गुलिक काल और यमगंड काल को अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यदि कोई नया काम, यात्रा या महत्वपूर्ण निर्णय इन कालों में शुरू किया जाए तो सफलता में बाधा आती है। अक्सर लोग राहुकाल के बारे में सुनते हैं, लेकिन गुलिक काल और यमगंड काल के बारे में उतनी जानकारी नहीं रखते। आइए पंडित जनार्दन पंत जी से जानते हैं इन दोनों का महत्व और अंतर क्या है।

गुलिक काल क्या है?

गुलिक काल दिन के समय का वह भाग है जिसे शनि ग्रह का कालखंड माना जाता है। सूर्योदय के आधार पर यह प्रतिदिन 1 घंटा 30 मिनट तक रहता है। इस समय किए गए कार्य में अड़चनें आ सकती हैं और काम में सफलता में देरी होती है। हालांकि, पंडित जी का मानना है कि यदि कोई कार्य हर दिन गुलिक काल में नियमित रूप से किया जाए, तो धीरे-धीरे उसमें स्थायित्व और मजबूती आती है। उदाहरण के लिए शिक्षा, साधना या आध्यात्मिक कार्यों की शुरुआत गुलिक काल में की जाए तो उसका अच्छा फल मिल सकता है।

यमगंड काल क्या है?

यमगंड काल को यमराज से जुड़ा समय माना जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य जैसे यात्रा, नई खरीददारी, व्यवसाय की शुरुआत या धार्मिक आयोजन की शुरुआत करने से बचना चाहिए। ऐसा करने पर कार्य में रुकावट आ सकती है या अशुभ परिणाम मिल सकते हैं। हालांकि, दिन के इस समय का उपयोग पितृ-तृप्ति और अंतिम संस्कार अनुष्ठानों के लिए किया जाता है।

क्या है गुलिक काल और यमगंड काल में फर्क-

  • गुलिक काल शनि ग्रह से संबंधित है, जबकि यमगंड काल यमराज से जुड़ा है।
  • गुलिक काल में किए गए कार्य में देर हो सकती है, लेकिन यह पूरी तरह अशुभ नहीं माना जाता।
  • यमगंड काल को पूर्णतः अशुभ माना जाता है और इसमें कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से परहेज करना चाहिए।

गुलिक और यमगंड काल का महत्व-

पंचांग में राहुकाल, गुलिक काल और यमगंड काल देखकर ही शुभ-अशुभ कार्य किए जाते हैं। इनका ज्ञान होने से व्यक्ति अनजाने में अशुभ समय में कोई महत्वपूर्ण काम करने से बच सकता है और जीवन में आने वाली रुकावटों से भी रक्षा कर सकता है। यही कारण है कि पंचांग देखकर ही शुभ मुहूर्त चुनने की परंपरा हमारे धर्म और संस्कृति में प्रचलित है।

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