Sharad Purnima 2025: कोजागरी पूर्णिमा के महत्व और पूजा विधि
आश्विन के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन माता लक्ष्मी की पूजा और आराधना के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस दिन रात को माता लक्ष्मी और कुबेर देव की विशेष पूजा की जाती है। 2025 में यह महत्वपूर्ण दिन 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जब चंद्रमा मीन राशि में प्रवेश करेगा। इस संयोग के चलते अमृतकाल का आरंभ होगा, जिससे चंद्रमा से अमृत की वर्षा होने की मान्यता है।
आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि का आरंभ 6 अक्टूबर 2025 को दिन में 11:24 बजे होगा और यह तिथि 7 अक्टूबर 2025 को दिन में 9:35 बजे तक जारी रहेगी। इस दिन व्रत करने वाले भक्तों को माता लक्ष्मी और कुबेर देव की आराधना 6 अक्टूबर की रात को करनी होगी। वहीं, स्नान, दान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान 7 अक्टूबर को किए जाएंगे।
कोजागरी पूर्णिमा पर क्या करें
कोजागरी पूर्णिमा की रात चंद्रोदय के बाद कुछ विशेष कार्य किए जाते हैं, जैसे:
- कच्चा दूध, चावल, मिसरी, चंदन और सफेद फूल का अर्घ्य चंद्रमा को अर्पित करें। इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- इस दिन श्री सूक्त का पाठ करें और माता लक्ष्मी के सामने घी की अखंड ज्योत जलाएं।
- रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखें, जिसमें पंचमेवा, मखाना और मिश्री डालें।
- यदि खीर में शुद्ध केसर भी डाल दिया जाए तो यह बेहद शुभ होता है, क्योंकि इससे गजकेसरी नामक राजयोग का निर्माण होता है।
- अर्ध रात्रि में घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और कुबेर का विशेष पूजन करें।
कोजागरी पूर्णिमा पर क्या ना करें
कोजागरी पूर्णिमा के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- इस दिन पैसों का लेन-देन नहीं करना चाहिए।
- काले वस्त्र नहीं पहनें और तामसिक चीजों का सेवन न करें।
इस दिन मान्यता है कि रात को चंद्रमा से अमृत की धारा पृथ्वी पर बरसती है। इस कारण से 6 अक्टूबर की रात शुद्ध दूध, घी और शर्करा युक्त खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख देने से वह अमृतमयी हो जाती है। इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से जीवन शक्ति, यश और कीर्ति में वृद्धि होती है।
कोजागरी पूर्णिमा का महत्व
आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा की रात चंद्र देव अपनी सभी 16 कलाओं के साथ धरती पर अपना शुभ प्रभाव स्थापित करते हैं। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के निकट होते हैं, जिससे उनके प्रकाश में खीर रखने पर चंद्रमा की सभी कलाओं का शुभ प्रभाव खीर में विद्यमान हो जाता है। इस कारण से यह खीर स्वास्थ्य और मन:स्थिति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
कोजागरी पूर्णिमा का यह पर्व विशेष रूप से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का अवसर है। इस दिन भक्तों को रात में जागरण कर माता लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु की आराधना करनी चाहिए। गाय के दूध से बनी खीर को चंद्रमा के प्रकाश में अवश्य रखना चाहिए, जिससे जीवन की सार्थकता में वृद्धि होती है। इस प्रकार, कोजागरी पूर्णिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समृद्धि और खुशहाली का भी संदेश देती है।