शरद पूर्णिमा 2025: पूजा समय, व्रत मुहूर्त, भोग रंग और मेष से मीन राशि तक के लिए उपाय, कल है स्नान और दान का पर्व, करें इन मंत्रों का जाप – एस्ट्रोलॉजी समाचार

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शरद पूर्णिमा 2025: पूजा विधि और महत्व

शरद पूर्णिमा 2025: पूजा विधि और महत्व

शरद पूर्णिमा का पवित्र पर्व इस वर्ष विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा का व्रत, स्नान और दान 7 अक्टूबर 2025 को किया जाएगा। वहीं, इस दिन चंद्र पूजा व खीर का भोग 6 अक्टूबर 2025 को अर्पित किया जाएगा। इसे कोजागर पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्रोदय शाम को 05:27 बजे होगा, जिससे यह अवसर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ है। इस दिन राशि अनुसार मंत्र जाप करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।

शरद पूर्णिमा की महत्वता

शरद पूर्णिमा विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व है। इस दिन भक्तजन विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा करते हैं और खीर का भोग अर्पित करते हैं। यह मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से सेहत और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन विशेष रूप से दान और स्नान का महत्व होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

राशि अनुसार मंत्र जाप

इस दिन राशियों के अनुसार मंत्र जाप करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ हम सभी राशियों के लिए **मंत्र** और भोग के बारे में बताएंगे:

  • मेष राशि: मंत्र: ऊँ ऐं क्लीं सौं। इस राशि के लोग लाल रंग के फल जैसे सेब का भोग लगाएं।
  • वृष राशि: मंत्र: ऊँ ऐं क्लीं श्रीं। सफेद रंग की वस्तुएं जैसे मखाने और नारियल का भोग लगाएं।
  • मिथुन राशि: मंत्र: ऊँ क्लीं ऐं सौं। हरे रंग के फल और हरे सिंघाड़े का भोग लगाएं।
  • कर्क राशि: मंत्र: ऊँ ऐं क्लीं श्रीं। सफेद मिठाई का भोग अर्पित करें।
  • सिंह राशि: मंत्र: ऊँ हृीं श्रीं सौं। पीले और नारंगी रंग के फलों का भोग लगाएं।
  • कन्या राशि: मंत्र: ऊँ श्रीं ऐं सौं। खीरे का भोग अर्पित करें।
  • तुला राशि: मंत्र: ऊँ हृीं क्लीं श्री। कौड़ियों से पूजा करें।
  • वृश्चिक राशि: मंत्र: ऊँ ऐं क्लीं सौं। खीर में केसर डालकर भोग लगाएं।
  • धनु राशि: मंत्र: ऊँ हृीं क्लीं सौं। पीले फलों का भोग अर्पित करें।
  • मकर राशि: मंत्र: ऊँ ऐं क्लीं हृीं श्रीं सौं। कमल का पुष्प चढ़ाएं।
  • कुंभ राशि: मंत्र: ऊँ हृीं ऐं क्लीं श्रीं। लाल गुड़हल का पुष्प चढ़ाएं।
  • मीन राशि: मंत्र: ऊँ हृीं क्लीं सौं। पीले फूल और फलों का प्रयोग करें।

शरद पूर्णिमा के दान और स्नान का महत्व

इस दिन स्नान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन दान देने से भी समृद्धि में वृद्धि होती है। लोग इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करते हैं, जिससे उनका जीवन भी बेहतर होता है।

शरद पूर्णिमा का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशी मनाते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों की सटीकता की हम कोई गारंटी नहीं लेते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।

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