शरद पूर्णिमा: 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा यह पर्व, जानें इसके महत्व और परंपराएं
इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से चंद्रमा की विशेष रोशनी के कारण महत्वपूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणें अमृत के समान मानी जाती हैं, जो कि धार्मिक, आध्यात्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। खासकर बंगाली समाज में इस दिन लखी पूजा का आयोजन बड़े श्रद्धा भाव के साथ किया जाता है।
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ‘कोजागरी’ का अर्थ है ‘कौन जाग रहा है’। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस रात माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन भक्त जागरण कर रहा है। जो भक्त जागरण कर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनके घर में देवी का प्रवेश होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति शरद पूर्णिमा की तिथि पर हुई थी, इसलिए यह दिन देवी लक्ष्मी के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाना और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना एक प्राचीन परंपरा है। ऐसा करने से खीर में औषधीय गुण भर जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है। मान्यता है कि खीर का सेवन अगले दिन सुबह स्नान के बाद करने से व्यक्ति की स्वास्थ्य, शक्ति और ऊर्जा बढ़ती है। खासकर यह सांस की बीमारियों और अन्य रोगों में भी फायदेमंद मानी जाती है।
इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे प्रवेश करेगा और यह 7 अक्टूबर की सुबह 09:16 बजे तक रहेगा। इसी दिन देर शाम मां लक्ष्मी की पूजा का आयोजन होगा। बंगाली समाज में यह पूजा बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ घर-घर में होती है। पूजा में धान की बाली, ईख, ताड़ के फल से निकला खूजा, नारियल और अन्य प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया जाता है। अन्य समाजों में भी लखी पूजा होती है, लेकिन बंगाली समाज में इसे विशेष महत्व दिया जाता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शरद पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी मानी जाती है। चंद्रमा की किरणें अमृत समान होती हैं और खीर जैसी चीजों में यह औषधीय गुण भर देती हैं। लोग इसे खाने से स्वास्थ्य में सुधार, मानसिक शांति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने की कामना करते हैं।
इस प्रकार, शरद पूर्णिमा की रात केवल धार्मिक या आध्यात्मिक महत्व की नहीं, बल्कि यह स्वास्थ्य और पारिवारिक खुशहाली के लिए भी बेहद खास है। इस रात जागरण करना, मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करना और चंद्रमा की रोशनी में खीर रखना एक सरल उपाय है जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।