Pradosh Vrat 2025 September 19, 2025 तिथि, समय, व्रत, कथा-पूजा व महत्व

प्रदोष व्रत 2025: तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा व महत्व

प्रदोष व्रत 19 सितम्बर 2025: तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा व महत्व

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। 2025 में प्रदोष व्रत 19 सितम्बर को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने दो बार आता है—एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस दिन प्रदोष काल में शिव-पार्वती की पूजा कर भक्त अपने जीवन के पापों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

प्रदोष व्रत 2025 तिथि व शुभ समय

  • व्रत तिथि: शुक्रवार, 19 सितम्बर 2025
  • प्रदोष काल: सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे का समय
  • निशिता काल: रात्रि 12 बजे के आसपास शिव आराधना का विशेष महत्व

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान कर संकल्प लें और भगवान शिव का ध्यान करें। संध्या के समय घर के मंदिर को साफ करें और प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत चढ़ाएं। दीपक जलाएं और शिव मंत्रों का जाप करें। शिव स्तुति, रुद्राष्टक या शिव चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

प्रदोष व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था। ब्रह्मा जी के आदेश पर चंद्रदेव ने प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना की। शिव जी की कृपा से उनका रोग दूर हुआ। तभी से प्रदोष काल की पूजा का महत्व और बढ़ गया। यह कथा हमें सिखाती है कि प्रदोष व्रत से सभी प्रकार के रोग, पाप और दुख समाप्त हो सकते हैं।

प्रदोष व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस व्रत से जीवन के कष्ट दूर होते हैं, आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। जो भक्त प्रदोष व्रत नियमपूर्वक करते हैं, उनके पितृ भी प्रसन्न होते हैं और कुल में सुख-शांति बनी रहती है।

व्रत नियम

  • व्रत के दिन केवल फलाहार करें या निर्जल व्रत रखें।
  • प्रदोष काल में शिवलिंग का जलाभिषेक अवश्य करें।
  • शिव-पार्वती की आरती करके व्रत का समापन करें।
  • जरूरतमंदों को दान दें और गरीबों को भोजन कराएं।
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