Purnima 2025 September 07, 2025 तिथि, समय, व्रत, कथा-पूजा व महत्व

पूर्णिमा 2025: 7 सितंबर 2025 की तिथि, समय, व्रत, कथा, पूजा विधि व महत्व

पूर्णिमा 2025: 7 सितंबर 2025 की तिथि, समय, व्रत, कथा, पूजा विधि व महत्व

पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय

सितंबर 2025 की पूर्णिमा 7 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से चंद्र दर्शन और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 सितंबर 2025, रात्रि 09:18 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2025, रात्रि 11:00 बजे
  • चंद्र दर्शन का श्रेष्ठ समय: संध्या 07:00 बजे से 09:00 बजे तक

पूर्णिमा का महत्व

पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है, जिससे उसकी चांदनी पूरे वातावरण को शीतल और पवित्र बना देती है। यह दिन मानसिक शांति, ध्यान और आध्यात्मिक साधना के लिए आदर्श है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा पर व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान-पुण्य का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है।

पूर्णिमा पूजा विधि

पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के पूजा स्थान को साफ करके भगवान विष्णु या भगवान शिव की पूजा करें।

  • गंगाजल से घर का शुद्धिकरण करें।
  • भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी और भोग अर्पित करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें – जल में चावल, दूध और फूल डालकर अर्घ्य दें।
  • दिनभर व्रत रखें और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही भोजन करें।

पूर्णिमा व्रत कथा

पूर्णिमा व्रत से जुड़ी कई कथाएं हैं। एक कथा के अनुसार, एक बार चंद्रमा को क्षय रोग हो गया। तब ब्रह्माजी ने उन्हें पूर्णिमा के दिन स्नान, व्रत और पूजा का नियम पालन करने का उपदेश दिया। चंद्रमा ने वैसा ही किया और उन्हें रोगमुक्ति प्राप्त हुई। तभी से पूर्णिमा के दिन चंद्र पूजा और व्रत की परंपरा शुरू हुई।

पूर्णिमा व्रत के लाभ

  • मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है।
  • आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  • पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति और पापों का क्षय होता है।

FAQ – पूर्णिमा 2025

पूर्णिमा व्रत कैसे करें?

सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें, पूरे दिन फलाहार करें और रात को चंद्र दर्शन के बाद भोजन करें।

पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

इस दिन क्रोध, नकारात्मक विचार और मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन का महत्व क्या है?

चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति, वैवाहिक जीवन में सुख और धन की वृद्धि होती है।

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