जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसे जन्म नक्षत्र कहा जाता है और यही व्यक्ति के जीवन की दिशा और प्रवृत्ति को प्रभावित करता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्रों की चाल को मानव जीवन का आधार माना गया है। जिस तरह ग्रहों की स्थिति से शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है, उसी प्रकार नक्षत्र भी व्यक्ति के स्वभाव, गुण-दोष और जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं। आकाश में दिखने वाले तारा-समूह को नक्षत्र कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कुल 27 नक्षत्र दक्ष प्रजापति की पुत्रियां मानी जाती हैं और ये चंद्रमा के भ्रमण पथ से जुड़े हुए हैं। चंद्रमा लगभग 27 दिनों में पृथ्वी की परिक्रमा करता है और इस दौरान वह प्रत्येक नक्षत्र में एक दिन के लिए ठहरता है। यही कारण है कि जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वह जन्मजात विशेषताओं को दर्शाता है।
27 नक्षत्र और उनके गुण
- अश्विनी – ऊर्जा और तेजी का प्रतीक
- भरणी – आकर्षण व दृढ़ इच्छाशक्ति
- कृत्तिका – आत्मसम्मान व मेहनत
- रोहिणी – सौंदर्य व सृजनशीलता
- मृगशिरा – साहस और जिज्ञासा
- आर्द्रा – राजनीति व गहरी समझ
- पुनर्वसु – आध्यात्मिक और दयालु
- पुष्य – सर्वश्रेष्ठ, समृद्धि देने वाला
- आश्लेषा – चतुराई और व्यापारिक कौशल
- मघा – परंपरा व गौरव
- पूर्वाफाल्गुनी – कला व भोग विलास
- उत्तराफाल्गुनी – संतुलन व बुद्धिमत्ता
- हस्त – सहायता भाव और प्रतिभा
- चित्रा- रचनात्मकता और साहस
- स्वाति – स्वतंत्रता व आकर्षण
- विशाखा – महत्वाकांक्षा और सामाजिकता
- अनुराधा – सिद्धांतप्रिय और भावुक
- ज्येष्ठा – प्रखर और साहसी
- मूल – गूढ़ ज्ञान और दृढ़ता
- पूर्वाषाढ़ा – ईमानदारी व मित्रता
- उत्तराषाढ़ा – आशावादी और परिश्रमी
- श्रवण – कर्तव्यनिष्ठ और अनुशासित
- धनिष्ठा – ऊर्जावान और मेहनती
- शतभिषा – स्वतंत्रता और खोजी स्वभाव
- पूर्वाभाद्रपद – धार्मिक व नैतिक दृष्टि
- उत्तराभाद्रपद – यथार्थवादी और त्यागी
- रेवती – विनम्र, ज्ञानवान और परंपराप्रिय
नक्षत्र व्यक्ति को उसकी प्रवृत्तियों, कमजोरियों और क्षमताओं को पहचानने का अवसर देते हैं। यही कारण है कि विवाह, यात्रा या शुभ कार्य में नक्षत्रों का विचार विशेष रूप से किया जाता है।
जानिए नाम के पहले अक्षर से आपकी राशि और कौन सा नक्षत्र है
| राशि | जन्म का नक्षत्र | नाम का पहला अक्षर |
| मेष | अश्विनि, भरणी, कृतिका | चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ |
| वृष | कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा | ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो |
| मिथुन | मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु | का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह |
| कर्क | पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा | ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो |
| सिंह | मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी | मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे |
| कन्या | उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा | ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो |
| तुला | चित्रा, स्वाती, विशाखा | रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते |
| वृश्चिक | विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा | तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू |
| धनु | मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा | ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे |
| मकर | उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा | भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी |
| कुंभ | घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद | गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा |
| मीन | पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती | दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची |
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