Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष की तिथियों में श्रद्धाभाव से तर्पण और पिंडदान करने का बड़ा महत्व है, लेकिन अगर आपको पितरों की तिथि का अंदाजा न हो तो क्या करेंगे? आइए इस लेख में पंडित जी से जानें अज्ञात तिथि में श्राद्ध और तर्पण कैसे करना चाहिए।
पितृ पक्ष के पखवाड़े में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। मान्यता है कि सही तिथि पर किए गए श्राद्ध से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि का हमें पता नहीं होता है। ऐसे में समझ नहीं आता कि श्राद्ध कब और कैसे करना चाहिए। मगर पंडित जनार्दन पंत जी बताते हैं कि पितरों की तिथि भी पता की जा सकती है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष 2025 में श्राद्ध की तिथि जानने का तरीका और अज्ञात तिथि में तर्पण की विधि।
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इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर को खत्म होगा। इन 15 दिनों में किसी खास तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। पंचांग के अनुसार श्राद्ध की तिथि का अंदाजा मृत्यु की चंद्र तिथि से लिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी का देहांत कृष्ण पक्ष की दशमी को हुआ हो तो हर वर्ष उसी दशमी तिथि को श्राद्ध करना चाहिए।
मृत्यु तिथि के आधार पर श्राद्ध
पंचांग के अनुसार चंद्र कैलेंडर की तारीख, जैसे द्वितीया, तृतीया, सप्तमी को पितरों का देहांत हुआ हो, उसी तिथि को प्रतिवर्ष पितृ पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। ध्यान रहे कि यह हिंदू चंद्र पंचांग की तिथि होती है, न कि अंग्रेजी कैलेंडर की।
वार (दिन) का महत्व-
यदि तिथि और वार दोनों अलग-अलग हों, तो प्राथमिकता तिथि को दी जाती है।
उदाहरण: यदि किसी का देहांत कृष्ण पक्ष की दशमी को हुआ हो, तो हर वर्ष दशमी तिथि को उनका श्राद्ध करना चाहिए।
अज्ञात तिथि की स्थिति में-
जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो या भूल गई हो, उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाता है। यह दिन सबसे महत्वपूर्ण और सर्वमान्य श्राद्ध दिवस है।
विशेष श्राद्ध
मातृ श्राद्ध: मातृ पक्ष की महिलाएं (माता, दादी, नानी आदि) के लिए अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है।
वहीं, संतानहीन व्यक्तियों का श्राद्ध चतुर्दशी को करने की परंपरा है।
पितरों के श्राद्ध की तिथि जानने के लिए पंचांग देखना चाहिए और मृत्यु की सही चंद्र तिथि के अनुसार कर्म करना चाहिए।