शारदीय नवरात्रि दिन 6 2025: 27 सितम्बर की तिथि, समय, व्रत, कथा, पूजा विधि और महत्व
तिथि और शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि 2025 का छठा दिन 27 सितम्बर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है।
- षष्ठी तिथि आरंभ: 26 सितम्बर 2025, रात 11:48 बजे
- षष्ठी तिथि समाप्त: 27 सितम्बर 2025, रात 09:35 बजे
- शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 AM – 08:45 AM
माता कात्यायनी की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। माता कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर को पीले फूलों और हल्दी-कुमकुम से सजाएं।
पूजन के मुख्य चरण:
- कलश स्थापना और दीप प्रज्वलन करें।
- पीले फूल, चन्दन, कुमकुम और हल्दी अर्पित करें।
- शहद का भोग लगाना विशेष फलदायी माना जाता है।
- मंत्र जप करें – ॐ कात्यायन्यै नमः।
माता कात्यायनी की कथा
ऋषि कात्यायन के कठोर तप से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उनके घर जन्म लिया। इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। माता कात्यायनी को असुरों का विनाशक माना जाता है। कहा जाता है कि उनकी कृपा से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
कथा के अनुसार, जब महिषासुर का अत्याचार बढ़ा, तब देवताओं ने देवी से प्रार्थना की और माता कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की।
दिन 6 का महत्व
नवरात्रि का छठा दिन खासतौर पर युवतियों के लिए शुभ माना जाता है। जो कन्याएं अच्छे वर की कामना करती हैं, उन्हें इस दिन माता कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। यह दिन साहस, विजय और धार्मिक शक्ति का प्रतीक है।
व्रत के लाभ
- विवाह योग्य कन्याओं के लिए विशेष लाभकारी।
- ग्रह दोष और वैवाहिक बाधाएं दूर होती हैं।
- जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सफलता मिलती है।
- शत्रु और बाधाओं का नाश होता है।
FAQ
प्रश्न 1: नवरात्रि के छठे दिन किस देवी की पूजा होती है?
छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है।
प्रश्न 2: माता कात्यायनी की पूजा में क्या विशेष अर्पित करें?
माता को शहद का भोग विशेष रूप से अर्पित करना चाहिए।
प्रश्न 3: इस दिन का क्या महत्व है?
यह दिन साहस और विजय का प्रतीक है और विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करता है।