Navratri Day 2: शारदीय नवरात्रि के दूसरा दिन मा ब्रह्मचारिणी व्रत कैसे करें जानें पूजा विधि, व्रत नियम

Shardiya Navratri Day 2 2025: तिथि, समय, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

शारदिया नवरात्रि दूसरा दिन 23 सितम्बर 2025: तिथि, समय, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व

शारदिया नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। इस दिन भक्त माता के दृढ़ संकल्प और तपस्या के रूप को स्मरण करते हैं। व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से जीवन में स्थिरता, मानसिक शक्ति और सुख-शांति प्राप्त होती है।

Shardiya Navratri Day 2 तिथि और समय

  • तिथि: सोमवार, 23 सितम्बर 2025
  • व्रत प्रारंभ: सुबह 06:00 बजे से
  • पूजा और आराधना का समय: सुबह और संध्या
  • व्रत समाप्ति: अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें

व्रत का महत्व

दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, मानसिक शक्ति, विवेक और शांति आती है। इस दिन व्रत करने से जीवन में कठिनाइयों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

पूजा विधि

सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। व्रत संकल्प लें। माता ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं। फूल, अक्षत और फल चढ़ाएं। मंत्रों का जाप करें और संध्या काल में आरती करें।

कथा

कथा के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी ने कठोर तपस्या और ब्रह्मचर्य के द्वारा देवी शक्ति प्राप्त की। भक्त इस दिन उनकी तपस्या और संयम का स्मरण करते हुए पूजा करते हैं।

नवरात्रि व्रत नियम

  • सुबह स्नान करके व्रत संकल्प लें।
  • दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत रखें।
  • पूजा के समय दीपक, फूल और फल चढ़ाएं।
  • मंत्रों का जाप और कथा सुनें।
  • अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Shardiya Navratri 2025 Day 2 कब है?

Shardiya Navratri 2025 का दूसरा दिन सोमवार, 23 सितम्बर 2025 को है।

Navratri व्रत का शुभ समय क्या है?

व्रत का प्रारंभ सूर्योदय से किया जा सकता है। पूजा और आराधना का श्रेष्ठ समय सुबह और संध्या काल है।

क्या महिलाएं भी नवरात्रि व्रत कर सकती हैं?

हाँ, नवरात्रि व्रत स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।

Navratri व्रत के लाभ क्या हैं?

इस व्रत से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, संतान सुख, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और व्यवसाय में समृद्धि प्राप्त होती है।

Navratri व्रत कैसे करें?

सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें, व्रत संकल्प लें, दिनभर फलाहार करें। सुबह और संध्या के समय माता दुर्गा की पूजा करें, मंत्रों का जाप करें और रात में आरती करें।