स्कंदमाता पूजा तिथि, समय, व्रत विधि और महत्व
नवरात्रि का पाँचवां दिन माता दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप को समर्पित है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और उन्हें पालन-पोषण और मातृत्व की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। 26 सितम्बर 2025 को स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख-शांति, संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि आती है।
स्कंदमाता पूजा तिथि और शुभ मुहूर्त (26 सितम्बर 2025)
तिथि: पंचमी तिथि, शुक्रवार, 26 सितम्बर 2025
पंचमी तिथि प्रारंभ: 25 सितम्बर 2025, 04:12 PM
पंचमी तिथि समाप्त: 26 सितम्बर 2025, 02:40 PM
शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 से 08:40 बजे तक पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय है।
स्कंदमाता की पूजा विधि
- सुबह स्नान के बाद पीले या लाल वस्त्र पहनें।
- माता स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना करें और उसमें गंगाजल भरें।
- माता को पीले फूल, केले और चने का भोग अर्पित करें।
- ‘ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।
- दीपक जलाकर दुर्गा सप्तशती के पंचम अध्याय का पाठ करें।
स्कंदमाता की कथा
पुराणों में वर्णन है कि जब राक्षस तारकासुर का वध करना असंभव हो गया, तब देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव और माता पार्वती से स्कंद (कार्तिकेय) का जन्म हुआ। स्कंद ने ही तारकासुर का वध कर देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई। स्कंदमाता की पूजा से संतानों की रक्षा होती है और परिवार में खुशहाली आती है।
पाँचवें दिन की पूजा का महत्व
स्कंदमाता की उपासना से भक्तों को मानसिक शांति, ज्ञान और मोक्ष का मार्ग मिलता है। जिनके जीवन में संतान सुख में बाधा है, उनके लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जो करियर में प्रगति चाहते हैं।
पाँचवें दिन के विशेष उपाय
- गरीब बच्चों को फल और मिठाई दान करें।
- माता को केले का भोग अर्पित करें और बाद में यह प्रसाद बांटें।
- घर में तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।
- पाठ के बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ Maa Durga ki Aarti करें।
Shardiya Navratri Day 5 2025 – FAQs
1. स्कंदमाता की पूजा में क्या भोग अर्पित करना चाहिए?
माता को केले और चने का भोग अर्पित करना सबसे उत्तम माना जाता है।
2. स्कंदमाता की पूजा का शुभ समय क्या है?
सुबह 06:15 से 08:40 बजे के बीच पूजा करना सबसे अच्छा समय है।
3. स्कंदमाता की पूजा से क्या लाभ मिलता है?
इस पूजा से संतान सुख, परिवार में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
4. क्या इस दिन व्रत करना आवश्यक है?
हाँ, अधिकांश भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और शाम को माता की आरती कर पारण करते हैं।