कुष्मांडा माता पूजा तिथि, समय, व्रत विधि और महत्व
शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन देवी दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुष्मांडा माता को ब्रह्मांड की सृष्टि की आदिशक्ति माना जाता है। माना जाता है कि देवी ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। 25 सितम्बर 2025 को चौथे दिन की पूजा से भक्तों के जीवन से अंधकार और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
कुष्मांडा माता पूजा तिथि और शुभ मुहूर्त (25 सितम्बर 2025)
तिथि: चतुर्थी तिथि, गुरुवार, 25 सितम्बर 2025
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 24 सितम्बर 2025, शाम 05:45 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 25 सितम्बर 2025, शाम 03:58 बजे
शुभ मुहूर्त: प्रातः 06:10 से 08:35 बजे तक पूजा करना सर्वोत्तम रहेगा।
कुष्मांडा माता की पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर के साफ वस्त्र पहनें।
- माता कुष्मांडा की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
- कलश स्थापना कर के उसमें गंगाजल भरें और आम्रपल्लव रखें।
- माता को सिंदूर, लाल वस्त्र, नारियल और मालपुए का भोग अर्पित करें।
- ‘ॐ देवी कुष्माण्डायै नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
कुष्मांडा माता की कथा
पुराणों में वर्णन है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति से पूर्व सब ओर अंधकार था। तब देवी ने अपनी मंद मुस्कान से सूर्य को उत्पन्न किया और ब्रह्मांड का निर्माण किया। यही कारण है कि इन्हें ‘कुष्मांडा’ कहा जाता है। इनकी आठ भुजाएँ हैं और वे सिंह पर सवार होती हैं। माता की पूजा से स्वास्थ्य लाभ, दीर्घायु और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
चौथे दिन की पूजा का महत्व
कुष्मांडा माता की उपासना से मानसिक बल, उत्साह और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। जिन लोगों को जीवन में निराशा, भय या नकारात्मकता घेर रही हो, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी है। माता की कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
चौथे दिन के विशेष उपाय
- गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र का दान करें।
- भोग में मालपुए या खीर जरूर अर्पित करें।
- कन्याओं को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लें।
- ध्यान और जप के लिए आज का दिन अत्यंत शुभ है।
Shardiya Navratri Day 4 2025 – FAQs
1. कुष्मांडा माता की पूजा में कौन-सा भोग अर्पित करें?
कुष्मांडा माता को मालपुए का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
2. कुष्मांडा माता की पूजा का सही समय क्या है?
25 सितम्बर 2025 को प्रातः 06:10 से 08:35 बजे तक पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।
3. कुष्मांडा माता की उपासना से क्या फल मिलता है?
इस पूजा से मानसिक शांति, स्वास्थ्य और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।
4. क्या इस दिन व्रत रखना आवश्यक है?
हाँ, भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को माता की आरती के बाद व्रत का पारण करते हैं।