Sankashti Chaturthi 2025 October 10, 2025 तिथि, समय, व्रत, कथा-पूजा व महत्व

संकष्टी चतुर्थी 2025: 10 अक्टूबर की तिथि, व्रत समय, पूजा विधि, कथा और महत्व

संकष्टी चतुर्थी 2025: 10 अक्टूबर की तिथि, व्रत समय, पूजा विधि, कथा और महत्व

संकष्टी चतुर्थी की तिथि और चंद्र दर्शन समय

संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश को समर्पित एक विशेष व्रत है जो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इसे संकट हारणी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।

  • व्रत तिथि: 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
  • चतुर्थी प्रारंभ: 10 अक्टूबर 2025, प्रातः 02:45 बजे
  • चतुर्थी समाप्त: 11 अक्टूबर 2025, प्रातः 04:10 बजे
  • चंद्र दर्शन का समय: रात्रि 08:10 बजे (स्थानीय समय के अनुसार थोड़ा अंतर संभव)

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। इस व्रत का महत्व इतना है कि इसे करने से कठिन से कठिन समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं।

ऐसा विश्वास है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और नियम से यह व्रत करते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है और गणपति बप्पा की कृपा हमेशा बनी रहती है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

इस दिन प्रातः स्नान के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को साफ करके पूजा स्थल पर स्थापित करें।

  • गणपति बप्पा की मूर्ति पर जल, फूल और सिंदूर अर्पित करें।
  • धूप, दीप जलाएं और गणेश मंत्रों का जाप करें।
  • गणेश चालीसा, अथर्वशीर्ष या गणपति स्तोत्र का पाठ करें।
  • व्रत दिनभर निर्जल रखें और रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत तोड़ें।
  • मोदक, लड्डू या अन्य मिठाई का भोग लगाएं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत नियम

इस व्रत में दिनभर व्रती को संयमपूर्वक रहना चाहिए।

  • सात्विक भोजन ही करें या निर्जल व्रत रखें।
  • मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • शाम को गणेश पूजन के बाद चंद्र दर्शन करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त करें।

संकष्टी चतुर्थी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं और ऋषियों ने भगवान गणेश से प्रार्थना की कि वे भक्तों के सभी कष्ट दूर करें। तब गणेशजी ने कहा कि जो भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेगा और विधिपूर्वक पूजा करेगा उसके जीवन के सभी संकट समाप्त हो जाएंगे।

एक अन्य कथा के अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा था, जिससे उनके जीवन में आ रही कठिनाइयां समाप्त हुईं और उन्हें अपना राज्य वापस मिला।

व्रत के लाभ

  • सभी प्रकार के संकट और बाधाएं दूर होती हैं।
  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • गणपति बप्पा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • मन की शुद्धि और आत्मबल में वृद्धि होती है।

FAQ – संकष्टी चतुर्थी 2025

संकष्टी चतुर्थी 2025 कब है?

संकष्टी चतुर्थी 2025 का व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा।

चंद्र दर्शन का समय क्या है?

चंद्र दर्शन का समय रात्रि 08:10 बजे है, लेकिन यह स्थानानुसार थोड़ा बदल सकता है।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे करें?

इस व्रत में दिनभर उपवास करें, शाम को गणेश पूजन के बाद चंद्र दर्शन करके व्रत खोलें।