Ishti 2025: तिथि, मुहूर्त, व्रत, कथा-पूजा व महत्व
इष्टि (Ishti) हिंदू धर्म में एक विशेष यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठान है, जो देवताओं को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। 2025 में इष्टि 8 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन विशेष रूप से अग्नि देव की उपासना और हवन का महत्व होता है। इष्टि का आयोजन घर में शांति, समृद्धि और ग्रहदोष निवारण के लिए किया जाता है।
Table of Contents
इष्टि 2025 तिथि और मुहूर्त
- तिथि: 8 सितंबर 2025, सोमवार
- प्रारंभ: 08 सितंबर, सुबह 06:45 AM
- समापन: 09 सितंबर, सुबह 05:32 AM
- श्रेष्ठ मुहूर्त: प्रातःकाल से दोपहर तक
इष्टि पूजा विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में हवन कुंड स्थापित करें। अग्नि देव का आह्वान करें और घी, तिल, जौ, चावल, आटा और शुद्ध घी से हवन करें। हवन मंत्रों का जाप करें और अंत में पूर्णाहुति दें। पूजा के बाद परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।
इष्टि व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और ऋषियों ने देखा कि पृथ्वी पर पाप बढ़ रहा है और धर्म घट रहा है, तो उन्होंने अग्नि देव की शरण ली। अग्नि देव ने उन्हें बताया कि इष्टि यज्ञ करने से पापों का नाश होगा और जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी। तभी से यह परंपरा आरंभ हुई।
इष्टि का महत्व
इष्टि करने से घर में शांति और समृद्धि आती है। यह पाप नाशक और रोग निवारक है। ग्रह दोष, पितृ दोष और वास्तु दोष के निवारण के लिए भी यह श्रेष्ठ माना गया है। इसके द्वारा जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
इष्टि करने के लाभ
- ग्रहदोष और पितृदोष का निवारण।
- आर्थिक स्थिति में सुधार।
- मानसिक शांति और तनाव में कमी।
- स्वास्थ्य में सुधार और रोगों का निवारण।
- परिवार में आपसी प्रेम और एकता बढ़ती है।
क्या करें और क्या न करें
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर हवन में भाग लें।
- हवन सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।
- इस दिन मांसाहार, नशा और क्रोध से दूर रहें।
- जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
FAQ – इष्टि 2025
इष्टि 2025 कब है?
इष्टि 2025 सोमवार, 8 सितंबर 2025 को है।
इष्टि क्यों की जाती है?
इष्टि यज्ञ पाप नाश, समृद्धि और ग्रहदोष निवारण के लिए किया जाता है।
इष्टि में क्या अर्पित किया जाता है?
घी, तिल, जौ, चावल और शुद्ध आटा अग्नि में अर्पित किए जाते हैं।