पापांकुशा एकादशी व्रत: आश्विन माह की विशेष एकादशी
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला पापांकुशा एकादशी व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित है। यह व्रत धार्मिक ग्रंथों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है और इसे विशेष रूप से पुण्यदायी व्रत के रूप में वर्णित किया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्त को यमलोक में कठोर यातनाओं का सामना नहीं करना पड़ता। इसके साथ ही, यह व्रत मनुष्य के सभी पापों का नाश करता है और मोक्ष का मार्ग दिखाता है।
पापांकुशा एकादशी के दिन भक्तों को भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की विशेष पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, जैसे अंकुश हाथी को नियंत्रित करता है, वैसे ही इस एकादशी का पुण्य पापों को रोकता है। इसीलिए इसे पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भक्तों को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने और रात्रि जागरण कर भगवान का ध्यान करने का विशेष महत्व है। द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मणों को अन्न और दक्षिणा दान करने के बाद ही व्रत का समापन किया जाता है। इस वर्ष पापांकुशा एकादशी 3 अक्टूबर को है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय।
पापांकुशा एकादशी व्रत पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
- यदि संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
- भगवान की आरती करें।
- भगवान को भोग लगाएं। ध्यान रखें कि भगवान को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट
- श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
- तुलसी के पत्ते
- सात्विक वस्तुएं भोग के लिए
- दीपक और तेल
- अक्षत (चावल)
पापांकुशा एकादशी का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:38 से 5:26 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: 11:46 से 12:34 बजे तक
- विजय मुहूर्त: 2:08 से 2:55 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: 6:05 से 6:29 बजे तक
- अमृत काल: रात 10:56 बजे से लेकर 12:30 बजे तक (4 अक्टूबर तक)
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 6:15 से 9:34 बजे तक
- रवि योग: 6:15 से 9:34 बजे तक
चौघड़िया मुहूर्त
- लाभ (उन्नति): 7:44 से 9:12 बजे तक
- अमृत (श्रेष्ठ): 9:12 से 10:41 बजे तक
- शुभ (मंगलकारी): 12:10 से 1:39 बजे तक
- चर (सामान्य): 4:36 से 6:05 बजे तक
व्रत पारण टाइम: 4 अक्टूबर को 06:30 ए एम से 08:53 ए एम तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 05:09 पी एम
पापांकुशा एकादशी के मंत्र
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ नमो नारायणाय
- ॐ विष्णवे नमः
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मी नारायणाय नमः
पापांकुशा एकादशी की कथा
एक प्राचीन कथा के अनुसार, विंध्याचल पर्वत पर एक शिकारी कृत्यधनु रहता था जो अत्यंत निर्दयी था। जब बुढ़ापे में उसकी मृत्यु निकट आई, तो वह भयभीत होकर एक आश्रम गया। वहां महर्षि अंगिरा ने उसे बताया कि यदि वह इस जन्म में मोक्ष चाहता है तो उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करना चाहिए। शिकारी ने व्रत किया और उसके सभी पाप नष्ट हो गए। अंत में विष्णुदूत उसे स्वर्ण रथ से वैकुण्ठ ले गए। इस घटना से यह सिद्ध होता है कि श्रद्धा और भक्ति से यह व्रत करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उपाय
इस दिन तुलसी के पौधे को पानी दें और घी का दीपक जलाएं। साथ ही, “ॐ श्री तुलस्यै नमः” मंत्र 11 बार बोलें और तुलसी के चारों ओर 11 परिक्रमा करें। यह उपाय पापों का नाश करने में सहायक माना जाता है।