नवरात्रि के पावन अवसर पर माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष साधना की जाती है। प्रत्येक दिन एक देवी की उपासना करने से विविध फल और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। नीचे बताया गया है हर दिन का मन्त्र एवं तत्त्व, जिनसे मन, बुद्धि, स्वास्थ्य व समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दिन | देवी का स्वरूप | ध्यान व चक्र | मन्त्र | वरदान व परिणाम |
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पहला दिन | माता शैलपुत्री | मूलाधार चक्र में ध्यान | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम: | धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य व मोक्ष की प्राप्ति। |
दूसरा दिन | माता ब्रह्मचारिणी | स्वाधिष्ठान चक्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: | संयम, तप, वैराग्य एवं विजय के गुण बढ़ते हैं। |
तीसरा दिन | माता चंद्रघंटा | मणिपुर चक्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नम: | दुखों से मुक्ति, मन की शांति, मोक्ष की प्राप्ति। |
चौथा दिन | माता कूष्मांडा | अनाहत चक्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम: | रोग, दोष, शोक की समाप्ति; बल, यश व आयु में वृद्धि। |
पाँचवा दिन | माता स्कंदमाता | विशुद्ध चक्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम: | परिवार में सुख-शांति, स्त्री एवं मातृत्व की मान-सम्मान। |
छठा दिन | माता कात्यायनी | आज्ञा चक्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम: | भय, रोग, दु:खों से निजात; साहस व सकरात्मक शक्ति का विकास। |
सातवाँ दिन | माता कालरात्रि | ललाट (ब्राह्मी) चक्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम: | शत्रुओं का नाश, बाधाओं का अंत, भय व भयभीति से मुक्ति। |
आठवाँ दिन | माता महागौरी | मस्तिष्क केंद्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम: | अलौकिक सिद्धियाँ, आंतरिक शुद्धता और दिव्यता का अन्वेषण। |
नवाँ दिन | माता सिद्धिदात्री | मध्य कपाल (तारक) चक्र | ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम: | सभी प्रकार की सिद्धियाँ, सफलता, मनोकामना सिद्धि। |
इन मंत्रों का जाप विधिपूर्वक करते समय शुद्ध मन, सच्चा श्रद्धाभाव तथा शुद्ध स्थान का ध्यान रखना चाहिए। प्रतिदिन देवी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं, आरती करें, और व्रत व पूजा के नियमों का पालन करें। ऐसा करने से साधक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन, आध्यात्मिक विकास और देवी की असीम कृपा अनुभव कर पाता है। Jai Mata Di