हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्रों में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। पंचांग के अनुसार अमावस्या कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है और इस दिन आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता। अंधकार का प्रभाव मनुष्य के विचारों और जीवन पर गहराई से पड़ता है। माना जाता है कि इस दिन नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है, इसलिए अमावस्या को साधना, दान और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना गया है। वहीं, इस दिन कुछ ऐसे काम भी बताए गए हैं जिन्हें करने से जीवन में कठिनाइयां आ सकती हैं।
अमावस्या पर क्या करें? (Pitru Amavasya Per kya Kare)
- अमावस्या के दिन गंगा जल मिलाकर स्नान करें और पितरों के लिए “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र का जाप करते हुए जल अर्पित करें।
- इस दिन पितरों की शांति के लिए काले तिल, जल और पुष्प अर्पित करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- मंदिर में दीपदान करें और गरीबों को भोजन, वस्त्र या अन्न का दान करें।
- घर में धार्मिक पाठ, ध्यान और हनुमान चालीसा का पाठ करना नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा देता है।
- यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और सात्त्विक भोजन करें।
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अमावस्या पर क्या न करें? (Pitru Amavasya Per kya Na Kare)
- इस दिन मांस और मदिरा का सेवन अशुभ माना जाता है। इससे घर की लक्ष्मी नष्ट होती है और आर्थिक संकट बढ़ता है।
- अमावस्या पर किसी दूसरे के घर भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे अच्छे कर्मों से अर्जित आध्यात्मिक पूंजी का क्षय होता है।
- इस दिन क्रोध, हिंसा, अनुचित कार्य और स्त्री संबंध बनाने से बचना चाहिए।
- अमावस्या की रात प्रेत आत्माएं अधिक सक्रिय रहती हैं, इसलिए बुरे विचारों और नकारात्मक कर्मों से दूर रहना जरूरी है।
- अमावस्या के दिन सिर पर बाल नहीं धोने चाहिए। इसे अशुभ माना गया है और यह जीवन में बाधाओं को आमंत्रित करता है।
अमावस्या तिथि साधना और पितरों की शांति के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है, इस लिए इन दिन बहुत ही सोच-समझकर कार्य करने चाहिए। नियमों का पालन अच्छी तरह से करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।